पहली गदर के बाईस साल बाद, गदर 2 को लेकर लोगों में काफी उत्सुकता है। खासकर सनी देओल उर्फ तारा सिंह के लिए। तारा और सकीना की कहानी अब भी लोगों को अच्छी लगती है, तो ज़ाहिर है, गदर 2 को देखने काफी जनता जाएगी। मगर क्या यह फिल्म आपके कीमती समय के लायक है? जानने के लिए पढ़ते रहिए।
ड्रामा बढ़ाने के चक्कर में कहानी पीछे रह गई
गदर 2 शुरू होती है तारा, सकीना, और उनके बेटे जीते के साथ। यह परिवार हसी-खुशी पंजाब में रहता है, और अब, जीते भी बड़ा हो चुका है। तारा अभी भी एक ट्रक ड्राइवर है और वह चाहता है की उसका बेटा फौज में भर्ती हो जाए। तो तारा पूरी कोशिश करता है की उसका बेटा पढ़-लिख ले। पर जीते को, अपने पिता की तरह, नाटक और मंच में दिलचस्पी होती है। और सकीना अपने बेटे के हर सपने का साथ देती है।
अपने बेटे को बचाने, तारा को अपने ससुराल लौटना पड़ता है
गदर 2 का ड्रामा शुरू होता है 1971 की जंग के बिल्कुल पहले। पाकिस्तान में जनरल इकबाल हमीद (मनीष वाधवा) भारत के साथ जंग का ऐलान करना चाहते हैं। हमीद वही जनरल है जिसने अशरफ अली (अमरीश पूरी), सकीना के पिता, को फांसी की सज़ा सुनाई थी। हमीद को इस बात का गुस्सा है की तारा और सकीना भाग निकले पाकिस्तान से। अब वह तारा, सकीना और उनके पूरे परिवार को खत्म करना चाहता है, और साथ ही, भारत को भी।
इसके बाद, दोनों देशों में तनाव की स्थिति पैदा हो जाती है, और लड़ाई शुरू हो जाती है। जंग के दौरान, तारा को कहा जाता है की उसे अपने ट्रक में, भारतीय सेना को गोली-बारूद पहुंचाने होंगे। बस, तब ही सारी गड़बड़ शुरू होती है और कुछ ट्रक ड्राइवर और सिपाहियों को पाकिस्तान फौज पकड़ लेती है। तारा भी गायब हो जाता है और उसके परिवार को लगता है की वह पाकिस्तान फौज की कैद में है। यह सुनकर तारा का बेटा, जीते, पाकिस्तान भाग जाता है अपने पिता को बचाने। पर तारा पाकिस्तान में कभी था ही नहीं, वह सिर्फ घायल था। घर आने पर, तारा को पता चलता है की उसका बेटा पाकिस्तान में है और उसे पकड़ लिया गया है। अब तो तारा को जाना ही पड़ेगा अपने ससुराल।
गदर 2 में कुछ खास नहीं है
अगर देशभक्ति की मूवी ही देखनी है इस हफ्ते, तो बॉलीवुड में इससे कई बेहतर फिल्में हैं। ज़रूरी नहीं है की आप यह कान-फाड़, नफरती मूवी ही देखें। इस फिल्म में सिर्फ एक अच्छी चीज़ है और वह है इसका संगीत, खासकर ‘उड जा काले कावां’ और ‘मैं निकला गड्डी लेके’।
क्या गदर 2 अपने परिवार के साथ देख सकते हैं? अगर आपके घरवालों को नफरती, चीखने-चिल्लाने वाली फिल्में अच्छी लगती हैं, तो देख सकते हैं।
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