जब से आदिपुरुष फिल्म की घोषणा की गई थी तब से लोग काफी उत्सुक थे। और क्यों ना हों, आखिर रामायण पर आधारित यह महाकाव्य हर हिन्दुस्तानी के दिलों-दिमाग में बसा हुआ है। ओम राऊत द्वारा निर्धारित इस फिल्म में प्रभास राघव की, कृति सानोन जानकी की, सैफ अली खान लंकेश की और देवदत्त नागे बजरंगी की भूमिका निभा रहे हैं। रामायण की कहानी तो सब जानते हैं, लेकिन आदिपुरुष में इस कहानी को कैसे दर्शाया जाता है, सबको इस बात की उत्सुकता थी।
ना लेखन में दम है, ना ही दृश्य में
जब आप रामायण जैसी महागाथा को फिल्म के रूप में बनाते हैं, तो एक उम्मीद होती है की वह देखने में यादगार होगी। लेकिन आदिपुरुष से ऐसी कोई उम्मीद ना रखें। यह ना देखने में सुंदर है और ना ही सुनने में। इस फिल्म के डाएलोग काफी बुरे तरीके से लिखे गए हैं। इसके दृश्य गेम ऑफ थ्रोनस या हैरी पॉटर जैसे थे, लेकिन उनकी क्वालिटी नहीं थी।
जब रामायण जैसी कथा पर फिल्म बनती है तो यह उम्मीद होती है की वह गाथा की पवित्रता बनाए रखेंगे। लेकिन आदिपुरुष में ऐसा कुछ भी नहीं होता। इसके कुछ संवाद सुन कर ऐसा लगेगा जैसे किसी बच्चे ने 2022 में कहानी लिखी है। इस फिल्म के डाएलोग कुछ इस तरह हैं, “तेरी बुआ का बगीचा है?” और “मरेगा, बेटे”। या सबसे बेस्ट – “जली ना?…कपड़ा तेरे बाप का, तेल तेरे बाप का, आग भी तेरे बाप की। तो जलेगी भी तेरे बाप की।”
ऐसे शब्द सुनकर लगता है की रामायण के किसी पात्र ने यह सब बोला होगा?
आदिपुरुष में रामायण का सार नहीं है
आदिपुरुष की सबसे बड़ी खामी यही है की इसका रामायण से कोई मेल नहीं है। रामायण में राम बहुत ही सुलझे हुए, बुद्धिमान और दयालु राजकुमार थे। सीता भी गुणवान, वफादार और साहसी थीं। रावण एक बहुत बड़े शिव भक्त और ज्ञानी थे और साथ ही साथ बहुत अच्छे राजा भी थे। आदिपुरुष इनमें से किसी भी विशेषता पर ध्यान केंद्रित नहीं करती है। लंकेश केवल भगवान शिव के भक्त और सीता के अपहरणकर्ता के रूप में सिमट कर रह गए हैं। वह हर रूप से एक राक्षस ही हैं – उनका व्यवहार, दिखावा, पहनावा सब कुछ राक्षसों जैसा ही है। जानकी महज़ एक दर्शक है और इससे ज़्यादा कुछ नहीं।
एक ऐसी दुनिया पर आधारित होने के बावजूद जो उज्ज्वल और सम्पन्न थी, आदिपुरुष बहुत ही खोकली फिल्म है।
क्या आप आदिपुरुष को अपनी परिवार के साथ देख सकते हैं?: बिल्कुल देख सकते हैं, लेकिन इसे अपने जोखिम पर देखें।