जब एक लड़की की शादी होती है, उससे बहुत सारी उम्मीदें जुड़ जाती हैं। और ससुराल में सबको लगता है की नई बहु को सब आता ही होगा। और इसी वजह से, एक नई बहु को अपने ससुराल में सहारा नहीं मिलता, कोई प्यार से समझाने वाला नहीं मिलता। उनको बेवजह ताने सुनने पड़ते हैं, रोक-टोक को झेलना पड़ता है, और कठोर व्यवहार का सामना करना पड़ता है। तो ज़ाहिर है, की वो भी अपने पति के घरवालों को मन से नहीं अपना सकती। और ऐसी चीज़ें भुलाना आसान नहीं है, तो इस दुखी वक्त की यादें आपकी बहु के मन में हमेशा रहेंगी। जब वो कुछ आगे से बोलने लगेगी, तो आप ही कहेंगे की बहु अच्छे से बात नहीं करती। पर इस दुविधा से बचना बहुत आसान है। अगर आप अपनी बहु का गृह प्रवेश प्यार से, ढंग से करें, तो वो भी आपके साथ प्यार से ही रहेगी।
यह रहीं ऐसी 9 चीज़ें जो आप और आपका परिवार कर सकते हैं ताकि बहु को लगे की वो अपना घर छोड़कर, एक नए घर में ही आई है, ना की जेल में।
बहु के लिए जगह बनाइए
इसका मतलब यह नहीं की नए जोड़े को एक कमरा दे दिया जाए। अगर आपकी बहु को सास-ससुर, देवर-ननद के साथ नहीं रहना है, उसमे कोई बुराई नहीं है। यह मान लीजिए की आपका बेटा और उसकी पत्नी अलग घर में रह सकते हैं और आपके रिश्तों में कोई दरार नहीं आएगी। और अगर आप साथ एक ही घर में रह रहे हैं, तो बहु पर अजीब से नियम डालने की कोशिश ना करें, की उसे कब खाना चाहिए, कब काम करना चाहिए, कब सोना चाहिए।
बहु से उनकी पसंद-नापसंद पूछिए
जब आपके घर कोई मेहमान आता है, तो आप पूछते हैं ना उनसे की उन्हे क्या खाना-पीना पसंद है? तो अपनी बहु को क्यों नहीं पूछ सकते? वो भी तो नई आई है आपके घर में। ज़रूरी थोड़ी है की उसे भी वही खाना पसंद हो जो आपको पसंद है। पहले ही दिन, उनसे पूछिए और अपने किचन में लागू करिए। जब परिवार के सब लोग हसी-खुशी एक दूसरे के साथ खाना खाते हैं, काफी झगड़े अपने आप ठीक हो जाते हैं।
बहु का सहारा बनिए
यह मत कहिए की वो अपना काम छोड़ दें और पूरा ध्यान घर पर दें। यह भी मत कहिए की उनके ऑफिस का टाइम आपको सूट नहीं करता। कभी अपने बेटे से यह उम्मीद रखी है आपने? नहीं, ना? तो बहु से क्यों? पनौती बनने की जगह, बहु का सहारा बनिए। अगर आपसे दरवाजा नहीं खोला जाता रात को, उन्हे चाबी दीजिए और शांति से सो जाइए। और जब उनको प्रमोशन मिलती है, उनको शाबाशी दीजिए और मिठाई खाइए।
रिश्तेदारों से मिलने के लिए मजबूर मत कीजिए
आपकी बहु भी इंसान है, वो भी थक सकती है और वो भी चिढ़ सकती है। तो इसमे कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए अगर वो कभी-कभी आपके साथ आपके रिश्तेदारों के घर ना जाए। आपकी बुआ की बेटी की सास का दिल चूर-चूर नहीं होगा अगर आपकी बहु उनके घर ना जाए।
बहु के कपड़ों के बारे में अपनी राय अपने पास ही रखें
वो क्या पहनती है और क्या नहीं पहनती, वो उसकी मर्ज़ी है। आपका, या किसी और का, बहु के पहनावे पर कोई हक नहीं बनता। चाहे वो टी-शर्ट पहने या कुरता, जीन्स पहने या शॉर्ट्स, आपको क्या? आप भी वही पहनिए जो आपको पसंद है।
उनके घरवालों और दोस्तों को घर बुलाइए
आपका फ़र्ज़ बनता की आप बहु को साफ-साफ बोल दें की वो जब चाहे, अपने घरवालों को या अपने दोस्तों को घर बुला सकती है। आखिर अब यह उसका भी घर है, है ना? अगर आपको आवाज से आपत्ति है, या आपको ड्रॉइंग रूम खाली चाहिए, तो बहु के साथ मिलकर इसका समाधान निकालिए। हो सकता है की समाधान यह हो की आपका बेटा और बहु अलग घर ले लें। अगर ऐसा होता है, तो आपको मानना पड़ेगा या जगह बनानी पड़ेगी।
अपनी पोता-पोती की मांग अपने दिल में रखिए
जुबान पर मत लाइये, क्योंकि इस बच्चे को पैदा करने की और पालने की जिम्मेदारी आपकी नहीं होगी। तो यह फैसला भी आपका नहीं हो सकता। अगर आपके बेटे और बहु के बीच अच्छा रिश्ता है, तो यकीन मानिए, उन्होंने बच्चों की बात आपस में कर ली होगी। अपने बेटे और बहु पर दबाव डालकर आप अपना रिश्ता तो उनके साथ खराब कर ही लेंगे, मगर उनके बीच भी तनाव पैदा कर देंगे।
‘मम्मी-पापा’ बुलाने पर मजबूर मत कीजिए
काफी लोगों को दिक्कत होती है किसी और को मम्मी-पापा बुलाने में। क्योंकि मम्मी-पापा तो एक ही होते हैं। तो अगर आपकी बहु आपको ‘अंकल-आंटी’ बुलाना चाहती है, इस बात का बुरा मत मानिए। वो आपका निरादर नहीं कर रही है, कुछ शब्दों का अर्थ बहुत माइने रखता है। आपकी बहु आपको जो मर्ज़ी बुलाए, वो फिर भी आपके परिवार का हिस्सा बनना चाहती है। बस, किसी और को ‘मम्मी-पापा’ नहीं कह सकती। और अगर किसी मामाजी या चाचाजी को यह बात बुरी लगे, तो उन्हे भी कह दीजिए की, इस मामले में, बहु की मर्ज़ी माननी पड़ेगी।
नई बहु का गृह प्रवेश सिर्फ रीति-रिवाज का मामला नहीं है। सच में गृह प्रवेश तब ही होगा जब आप बहु को प्यार और सम्मान से घर में जगह देंगे।
प्रदर्शित चित्र सूत्र