अगर हिंदुस्तानियों को कोई एक चीज़ बांधती है, तो वह है चाय। एक प्याली चाय सही वक्त पर मिल जाए तो ऐसा लगता है ज़िंदगी सँवर गई। चाय भी अनेक तरह की होती हैं। जहाँ हर हिंदुस्तानी घर में आपको आम चाय मिल ही जाएगी, चाय प्रेमियों के घर में आपको विभिन्न प्रकार की चाय मिलेंगी। अगर आप चाय के शौकीन हैं, तो हिंदुस्तान के हर कोने से आईं इन सात तरह की चाय का आनंद ज़रूर लें।
मसाला चाय
चाय पत्ती और मसालों का एक बेहतरीन मिश्रण है मसाला चाय। चाय पत्ती में मसाले, चीनी, और दूध को डाल कर इसे बनाते हैं। वैसे तो आप अपने पसंद के मसाले डाल सकते हैं, लेकिन मसाला चाय में ज़्यादातर छोटी इलायची, लौंग, दालचीनी, काली मिर्च, चक्रफूल, जायफल, अदरक, और सौंफ डालते हैं।
पुदीना चाय
पुदीना चाय अदरक और पुदीना के पत्तों से बनती है। राजस्थान के नाथद्वारा में यह काफी मशहूर है। इस चाय की खासियत यह है की इसको मिट्टी के कुल्हड़ में परोसा जाता है। इसमें दूध की मात्र से ज़्यादा पानी डाला जाता है, और अदरक और पुदीना से काफी ताज़गी महसूस होती है।
रोन्गा साह
आसाम की इस मशहूर चाय को रोन्गा साह या लाल चा कहा जाता है क्योंकि इसका रंग लाल होता है। उत्तर पूर्व भारत के आसाम, सिक्किम, अरूणाचल प्रदेश और मेघालय में काफी मशहूर है लाल चा। इसमें ना तो मसाले डलते हैं और ना ही दूध। यह हल्की चाय बदहज़मी से भी आराम देती है। रोन्गा साह जुखाम और खांसी को ठीक करने में भी मदद करती है। तो अगर आपको विभिन्न तरह की चाय ट्राइ करने का शौक है, तो लाल चा ना भूलें।
कसाई
मंगलूरु की खासियत है कसाई। यह हर्बल रस सूखे, भुने और बारीकी से पिसे मसालों से बनता है। इन मसालों को पानी में उबाल कर इसमें साधारण चीनी या फिर ‘रॉक शुगर’ डाल के बनाते हैं। इसके स्वाद को संतुलित करने के लिए इसमें काफी कम मात्रा में दूध भी डालते हैं। कैफीन ना होने के कारण, यह हर्बल टी आरामदायक होती है और आपके गले को भी आराम देती है।
गुड़ की चाय
मसालों और गुड़ से बनी यह चाय उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में सर्दी के मौसम में काफी आनंद से पी जाती है। पानी में चाय पत्ती, अदरक, और कुटी इलायची डाल के उसको उबालें। ध्यान रहे की चाय जब उबल रही हो तो उसमें गुड़ ना डालें। एक बार चाय उबल जाए, और ठंडी हो जाए, तब ही उसमें गुड़ डालें।
उकड़ों
गुजरात के मशहूर घर के नुस्खों में से एक है उकड़ों। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली हर्बल टी है। अपनी इच्छा के अनुसार आप इसको दूध के साथ या फिर दूध के बिना भी बना सकते हैं। सर्दी-जुखाम जैसी बीमारियों के लिए बहुत अच्छा नुस्खा है उकड़ों। आप इसको अदरक, पुदीना, हल्दी, नींबू और लेमनग्रास के साथ भी बना सकते हैं।
तंदूरी चाय
तंदूरी चाय मसाला चाय से मेल खाती है, लेकिन इसमें तंदूर का स्वाद रहता है। एक कुल्हड़ को लाल होने तक तंदूर पर रखते हैं और उस गरम कुल्हड़ में मसाला चाय डाली जाती है। कुल्हड़ की गर्मी से चाय उबलती है और उसमें तंदूर का स्वाद घुल जाता है। एक बार चाय उबलना बंद हो जाए तो उसको या तो एक नए कप में डालें या फिर एक नए कुल्हड़ में डाल कर पीयें।